पोर्टफोलियो प्रणाली
- भारत मेँ पहली बार प्रतिनिधिक संस्थाओं की शुरुआत हुई ताकि यह व्यवस्था की जा सके कि विधायी कार्यो के समय गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद मेँ गैर सरकारी सदस्योँ के रुप में कुछ भारतीय भी शामिल हों।
- इससे मुंबई और मद्रास प्रेसीडेंसी को विधायी शक्तियां प्राप्त हुईं, जिसके फलस्वरुप विकेंद्रीकरण की प्रक्रिया का सूत्रपात हुआ।
- पोर्टफोलियो प्रणाली को संवैधानिक मान्यता मिली।
- इससे गवर्नल जनरल को परिषद में सुचारु कार्य व्यवहार करने के लिए नियम निरुपण की शक्ति प्राप्त हुई।
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