आधुनिक भारत का इतिहास पार्ट-4
1857 की क्रांति -
→ 1857 की क्रांति के समय भारत का गवर्नर जनरल लार्ड कैनिंग था।
1857 ईस्वी की क्रांति के प्रमुख कारण-
1 . Political (राजनैतिक) - Doctrin of lapse, उदा. अवध के राजा के पास पुत्र होने के बाद भी गद्दी नहीं मिली थी। और अवध की जनता अंग्रेजो के खिलाप हो गई।
2. Economic (आर्थिक)- भारतीयो के देशी उद्द्योग बंद पड़ने लगें। भारत के आर्थिक स्थिति 1700 ईस्वी में लगभग 30 % से अब केवल 3 % ही रह गई थी। अकाल पड़ना,गरीबी और भुखमरी आदि कारण थे।
3 .Sodial (सामाजिक)- → अंग्रेज भारतीयों को दोयम (दूसरे दरजे का) दर्जे का मानते थे ।
→ कोई अधिकारी पोस्ट पर भारतीय नहीं होता था।
→ Dogs & Indians are Not allowed. (अंग्रेजों के घरों के बहार दीवार पर लिखा होता था। )
4 . Religiou (धार्मिक)- गाय तथा सूअर की चर्बी के कारतूस को मुंह से काटने की मजबूरी (यह मान जाता है की यह अफवाह फैलाई गई थी एनफील्ड नाम का नया कारतूस आया था, किसी बताया की इन कारतूसों में गाय और सूअर की चर्बी है जो मुँह से खोला जाता था।
29 मार्च 1857 → मंगल पांडे ने बैरकपुर (छावनी) बंगाल में कारतूस को मुंह से काटने से मना कर दिया, जिससे उनको गिरफ्तार करके, 8 अप्रेल 1857 को फासी देदी जाती है।
10 मई 1857- मेरठ की पैदल टुकड़ी 20 Native infantary (यह टुकड़ी का नाम था) ने 1857
की क्रांति का विगुल बजाया, और मेरठ में अंग्रेजो अधिकारिओ को मारने लगे और दिल्ली की तरफ कूच करने लगे। इस समय इनके हित का राजा दिल्ली का बहादुर शाह द्वितीय राजा था।
कांति के प्रमुख केन्द्र→विद्रोह की तिथि → भारतीय नायक→ ब्रिटिश नायक(विद्रोह दबाने वाला)
दिल्ली→ 11 मई 1851 → बहादुर शाह और बख्त खां (बहादुर शाह का सेनापति) थे→ निकलसन एवं हडसन
कानपूर → 5 जून 1857 → नाना साहब (रामचन्द्र पांडुरंग) और तात्या टोपे → कैंपबल
लखनऊ → 4 जून 1857→ बेगम हजरत महल → कैंपबल
झांसी → जून 1857 → रानी लक्ष्मीबाई → ह्रूरोज
जगदीशपुर (बिहार) → अगस्त 1857 कुँअर सिंह (जमींदार)→ विलियमटेलर एवं विंसेट आयर
बरेली → 1857 ईस्वी→ खान बहादुर खां → . . .
बरेली → 1857 ईस्वी→ खान बहादुर खां → . . .
→ 1857 की क्रांति को अंग्रेजों ने दबा दिया, कुछ क्रांतिकारिओं को जेल में तो कुछ को मार दीया गया।
→ 1858 में ब्रिटिश सरकार ने व्यापक बदलाव करते हुए BEIC भंग कर दिया तथा शासन को सीधे ब्रिटिश राज के अंदर में लिलिया गया।
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