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मुग़ल बादशाह अकबर का परिचय,Mugal Badshah Akabar full history मुग़ल बादशाह अकबर सैन्यअभियान, सुधार कार्य, अकबर की स्थापत्य कला, अकबर दरबार के नौ रत्न, अकबर के द्वारा दी गई उपाधियाँ, अकबर के समय में मुद्राएं एवं सिक्कें
मुग़ल बादशाह अकबर (1556 -1605) AD
मुग़ल बादशाह अकबर का परिचय-
- मुग़ल बादशाह अकबर का जन्म अमरकोट के राणा वीरसाल के महल में 15 अक्टूबर 1542 ईस्वी को हमीदा बनो बेगम की गर्भ से हुआ था।
- इसके बचपन का नाम बदरुद्दीन था।
- अकबर के शिक्षक का नाम अब्दुल लतीफ, ईरानी विद्वान था।
- अकबर को एक अनपड़ शासक कहा जाता है।
- अकबर पहली बार, जलालुद्दीन मुहम्मद अकबर बादशाही गाज़ी की उपाधि धारण करके पंजाब के कलानौर नामक स्थान पर 14 फरवरी, 1556 को इसका राज्याभिषेक हुआ। इस स्थान पर अकबर को हुमायूँ की मृत्यु की सूचना मिलाने पर राजगद्दी पर बैठाया गया था।
- अकबर का संरक्षक बैरम खां (कलानौर ) 1556 -1560 तक रहा।
- मुग़ल बादशाह अकबर 13 वर्ष की आयु में सम्राट बना था। इसने सम्राट की उपाधि दक्षिण विजय के बाद असीरगड़ युद्ध 1601 ईस्वी में रखी।
- अकबर की मृत्यु 16 अक्टूबर 1605 ईस्वी में अतिसार (डायरिया) के कारण हुई।
- अकबर को पहली बार 9 वर्ष की अवस्था में गजनी की सूबेदारी मिली, तब इसका संरक्षक मुनीम खां था। इसे अकबर का प्रथम संरक्षक कहा जाता है। तथा बैरम खां को द्वितीय संरक्षक।
अकबर के संरक्षक-
अकबर व बैरम खां -1556 -1560 ईस्वी तक अकबर के शासन पर बैरम खां का नियंत्रण होता है। 1560 में अकबर और बैरम खां में अनबन हो जाने से अकबर ने बैरम खां के सामने तीन शर्तों में से एक स्वीकार करने को कहा
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- काल्पी व चंदेरी की सूबेदारी
- गुप्त विभाग का अध्यक्ष।
- मक्का की तीर्थ यात्रा, हज की यात्रा करने का प्रस्ताव।
⇨ बैरम खां ने हज की यात्रा का प्रस्ताव चुना,यात्रा के दौरान पाटन (गुजरात ) में मुबारक खां नामक अफगानी के द्वारा बैरम खां की हत्या कर दी जाती है। इस युद्ध का नाम तलवाड़ा का युद्ध था।
मुग़ल बादशाह अकबर के प्रमुख सैन्यअभियान-
पानीपत का द्वितीय युद्ध (5 नवम्बर 1556 ईस्वी ) - *
- यह अकबर और हेमू के बीच लड़ी गई जिसमे अकबर की जीत हुई।
पेटीकोट शासन (1560 -1562) ईस्वी -
- महाअनगा के नियंत्रण में अकबर के दरबार के ऊपर यह शासन कीया जाता है।
- ये अकबर की हरम की महिलाएं थी - महाअनगा, जीजीअनगा, आधम खां (महाअनगा का पुत्र ) और मुनीम खां, इसका का दो वर्षो तक नियंत्रण रहता है, जिसे पेटीकोट शासन के नाम से जाना जाता है।
- अकबर ने इस शासन को हटाने के लिए 1662 ईस्वी में आधम खां की हत्या करवा दी।
- इससे अकबर ने अपने आप को हरम दल (1662 ईस्वी) से पूणतः मुक्त कर लिया।
हेमू -आदिलशाह सूर का सेनापति था, इसके बारे में कहा जाता है की इसने 22 युद्ध जीते थे। इसने विक्रमादित्त्य के उपाधि धारण की थी तथा यह अंतिम हिन्दू शासक था।
1562 - 1563 ईस्वी में मालवा (गुजरात और मप्र का क्षेत्र ) पर आक्रमण किया और वहां के शासक बाजबहादुर को पराजित कर दिया।
चित्तोड़ का युद्ध (1567 -1568)-
- जब चित्तोड़ पर अकबर ने वहा के राजा उदय सिंह (महाराणाप्रताप के पिता ) के विरुद्ध हमका किया तो वे गोलगुंदा (उदयपुर) चलें गए थे।
- उदयसिंह के दो सेनापतियों जयमल और फत्ता से अकबर काफी प्रभावित हुआ।
- अकबर के द्वारा चित्तोड़ के दुर्ग का जितना तोड़ -फोड़ होता है, जयमल और फत्ता द्वारा उसका निर्माण रातो -रात करवा देते है।
- अकबर की संग्राम नामक बन्दूक से जयमल घायल हो जाता है।
- जैमल अपने भतीजे वीरकल्लाजी (जिसको चार हाँथ का लोक देवता कहा जाता है ) के कंधे पर बैठ कर अकबर की सेना के साथ युद्ध किया और वीर- गति को प्राप्त हो जाता ।
- अकबर फरवरी 1568 ईस्वी में चित्तोड़ के दुर्ग पर अधिकार कर लेता है।
- अकबर जयमल और फत्ता की वीरता से प्रभावित होकर आगरा के किले के सामने इन दोनों की मुर्तिया लगवाई। जिसको बाद में औरंजेब ने हटवा दिया।
(1572 -1573 ईस्वी) में गुजरात विजय -
- इस विजय की स्मृति में अकबर ने फतेपुर सीकरी में बुलंद दरवाजा बनवाया था।
- गुजरात विजय के दौरान अकबर सर्वप्रथम पुर्तगालियों से मिला और पहली बार समुद्र को देखा।
हल्दीघाटी का युद्ध (18/21 जून 1576 ईस्वी )-
- हल्दीघाटी आज के राजस्थान के राजसंमद में पड़ता है।
- यह युद्ध अकबर और मेवाड़ के शासक महाराणा प्रताप के बीच हुआ जिसमे अकबर का विजय हुई
- अकबर का सेनापति आमेर कच्छावा राजवंश का शासक सेनापति मानसिंह था, और साथ में , बंदायूनी, आसफ खां और मिहतर खां आदि थे। महाराणा प्रताप की और से सेनापति हाकिम था, और साथ मे खां सूरी, झाला बीदा और पूजा आदि थे।
- महाराणा प्रताप के हरावल भाग (सेना की पहली पंक्ति) का नेतित्व हाकिम खां सूरी कर रहा था।
- मानसिंह के साथ बंदायूनी था, बंदायूनी के द्वारा हल्दीघाटी युद्ध का आँखों देखा वर्णन मिलता है।
- इस युद्ध में मुग़ल सेना का नेतित्व मानसिंह एवं आसफ खां ने किया था।
- इस युद्ध में अकबर का मुख्य उद्देश्य राणा प्रताप को अपने अधीन लाना था।
- महाराणा प्रताप और अकबर की सेना का अनुपात 1 :4 था।
- मुगलो की सेना से घिरने पर झाला विदा ने महाराणा प्रताप से राजचिन्ह लेकर महाराणा प्रताप को सुरक्षित युद्ध के मैदान से बाहार निकल कर ले गया।
- आसफ खां के द्वारा जीहाद का नारा दिया गया। और मिहत्तर खां के द्वार अकबर के आने की अफवाह फैलाई गई, जिससे अकबर की सेना एकत्रित हुई।
- अबुल फजल इस युद्ध को खमनौर का युद्ध कहते है।
- बंदायूनी के द्वारा इस युद्ध को गोगुन्दा का युद्ध कहतें है।
- कनरल तोड़ के द्वारा इस युद्ध को मेवाड़ का थर्मोपल्ली कहा जाता है।
- महाराणा प्रताप अकबर की अधीनता स्वीकार नहीं कर रहे थे इसलिए अकबर ने जलाल खां(1572 में गया), मानसिंह, भवंत दास, टोडरमल (सभी को 1573 में गए) को भेजा।
- मानसिंह का यह प्रथम सैन्य अभियान था।
- मानसिंह ने इस युद्ध की योजन मैक्जिन फोर्ट या अकबर का किला (अजमेर) में बनाया था।
- महाराणा प्रताप के घोड़े का नाम चेतक था।
- मानसिंह के हांथी का नाम मरदाना था। हांथी के ऊपर बैठने के स्थान को ओहदा कहा जाता था।
- इस युद्ध में मानसिंह का जो उद्देश्य था उसे उसने पूरा कर लिया था।
- महाराणाप्रताप के मृत्यु 19 फरवरी 1597 ईस्वी में हो गई।
- मेवाड़ के राजपूताना राज्यों के वन्सो ने अकबर के सामने सम्प्रभुता स्वीकार नहीं की।
अन्य-
- काबुल का अभियान 1581 ईस्वी
- सिंध व बलूचिस्तान अभियान 1591 ईस्वी
- उड़ीशा का अभियान 1592 ईस्वी
- असीरगढ़(मप्र) का अभियान 1601 ईस्वी - यह अकबर का अंतिम अभियान था।
अकबर के सुधार कार्य -
- विवाह प्रक्रिया में इसने लड़को की उम्र को 16 वर्ष एवं लड़कीओ की उम्र को 14 वर्ष कर दिया।
- सती प्रथा को रोकने का प्रयास किया।
- सिक्खो के 4 थे गुरु रामदास को अमृतसर में जमीन प्रदान की।
- 1562 ईस्वी में दास प्रथा पर रोक लगाई। इसी काल में अकबर हरम दल से मुक्त हुआ तथा धर्मान्तरण पर रोक लगा दी।
- 1563 ईस्वी में तीर्थ यात्रा कर समाप्त कर दिया।
- 1564 ईस्वी में जजिया कर समाप्त कर दिया।
- मुग़ल सम्राठ अकबर ने क्षिक्षा सम्बन्धी सुधार भी किए।
- 1571 ईस्वी राजधानी को आगरा से फतेहपुर सिकरी स्थानांतरण।
- 1575 ईस्वी इबादतखाने की स्थापना। (प्रारंभ में मुस्लिम गुरु व्याख्याकार को नियंत्रण दिया गया बाद में सभी धर्मो के लिए खोल दिया गया।
- हिन्दूओ के लिए देवी व पुरुसोत्तम की स्थापना का कार्य किया गया।
- पारसीओ के लिए दस्तूरजी मेहर स्थापना का कार्य किया गया।
- ईसाइयो के लिए मोनसेरात, एक्वाविवा स्थापना का कार्य किया गया।
- इसका प्रमुख अकबर था।
- प्रधान पुरोहित अबुलफजल था।
- रविवार का दिन पवित्र माना जाता था।
- एक मात्रा हिन्दू बीरबल के द्वारा यह धर्म स्वीकार किया गया था।
- अकबर ने राजस्व प्राप्त करने के लिए जब्ती प्रणाली शुरू की।
- मुग़ल प्रशासन व्यवस्था में मनसबदारी प्रणाली को अकबर ने प्रारम्भ किया था, इस प्रथा को अकबर ने मंगोलियों से लिया था.
- अकबर ने यह कहा के आदमी को एक ही विवाह करना चाहिए दूसरा विवाह वह तभी करे जब उसकी पत्नी बंध्या हो।
- दहशाला पद्धति की शुरुआत 1580 ईस्वी में हुई।
- अकबर के शासन काल में टोडरमल ने दहशाला पद्धति की शुरुआत की।
- दहशाला पद्धति के विकाश का मुख्य कारण जब्ती प्रणाली से था। यह अकबर की उपज थी।
- जब्ती प्रणाली दक्कन के प्रदेशो में भू -राजस्व वसूली का मुख्य आधार था।
- जब्ती प्रणाली का एक -तिहाई भाग ही राज्य की मांग के रूप में निर्धारित था।
धार्मिक नीति पर विचार -
धर्म संसद -1578 ईस्वी इबादतखाने में सभी धर्मो के लोगो की प्रवेश की अनुमति मिली। धर्म संसद के स्थापना।
3. 1582 ईस्वी में दींन-ए -इलाही (सभी धर्मो का सार ) की स्थापना।
दींन -ए -इलाही धर्म - 1582 ईस्वी में दींन-ए -इलाही (सभी धर्मो का सार ) की स्थापना।
4. 1583 में इलाही संवत की शुरुआत की गई।
5. 1585 ईस्वी में राजधानी को आगरा से लाहौर स्थानांतरित किया जाता है।
अकबर की स्थापत्य कला -
- हुमायूँ का मकबरा -
- अकबर के समय दिल्ली में हुमाऊं का मकबरा चारबाग शैली का प्रयोग करके हाजीबेगम ने बनवाया।
- इसके वास्तुकार मिर्जा ज्यास बेग थे।
- यह मकबरा दोहरे गुम्मद से बना हुआ है।
2. फतेहपुर सिकरी में -
- बुलंद दरवाजे का निर्माण अकबर ने गुजरात विजय को यादगार बनाने के लिए फतेहपुर सीकरी में करवाया।
- यहा पर दीवान-ए -आम है।
- दीवान -ए -खास, यहाँ पर फ्रेंडली ट्री (विश्व वृक्ष) लगा हुआ है, और यहीं पर इबादत खाने का निर्माण करवाया गया है।
- इबादत खाना -यह एक भवन है जिसमे अकबर विभिन्न धर्मो के विद्वानो के साथ चर्चा करता था। ➭अकबर द्वारा बनवाए गए उपासना भवन का नाम इबादत खाना था, इसको 1579 ईस्वी में बंद कर दिया गया।
- तुर्की सुल्तान का महल का निर्माण।
- अनूप तालाब का निर्माण
- ख्वाबगाह का निर्माण।
- मरियम उज्जमानी का महल।
- बीरबल महल।
- पंचमहल, इस ईमारत का नक्सा बौद्ध विहार जैसा है।
- जोधाबाई का महल।
➭अकबर अपना विचार -विमर्श इसी इबादत खाने में करता था।
3. लाहौर में अकबर का किला
4 . प्रयागराज /इलाहाबाद में अकबर का किला 5. अजमेर में अकबर का किला या मैगज़ीन फोर्ट
6. आगरा में अकबर का लाल किला।
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अकबर दरबार के नौ रत्न -
1. तानसेन-
- तानसेन का वास्तविक नाम रामतनु पांडेय था।
- तानसेन रीवा (मप्र ) के शासक रामचंद्र देव के दरबारी थे।
- तानसेन के दोनों गुरुओ का नाम हरिदास और मुहम्मद ग़ौस थे, कुछ विद्वान् बताते है की हरिदास और तानसेन दोनों मानसिंह तोमर के शिस्य है।
- मुहम्मद ग़ौस के प्रभाव से तानसेन ने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया था।
- कंठाभरणवाणीविलास की उपाधि अकबर ने तानसेन को दी।
- तानसेन को ध्रुपद गायिकी का जन्मदाता मान जाता है।
- तानसेन की प्रमुख़ कृतियाँ - मियाँ की टोड़ी, मियाँ का मल्हार, मियाँ का सारंग, राग की मल्हार, दरबारी कन्हरा आदि है।
- तानसेन का मकबरा ग्वालिअर में स्थित है।
2. बीरबल (1528-1583) -
3. अबुल फज़ल (1551-1602)-
- बीरबल का वास्तविक नाम महेश दास था.
- बीरबल को राजा तथा कविप्रिय की उपाधि अकबर ने प्रदान की।
- 1583 में बीरबल को न्याय विभाग का अध्यक्ष बनाया जाता है।
- 1586 बीरबल यूसफ़जइयों के विरुद्ध लड़ते हुए मृत्यु को प्राप्त हो जाते है।
- अकबर के दरबार में मात्र बीरबल ने ही दीन -ए -इलाही को स्वीकार किया था।
3. अबुल फज़ल (1551-1602)-
- अबुल फज़ल का जन्म नागौर राजस्थान में हुआ था।
- अबुल फज़ल के पिता का नाम शेख मुबारक(सूफी संत) तथा भाई का नाम फैजी( अकबर के नौ रत्नो मे से एक ) था। अबुल फज़ल दींन -ए-इलाही धर्म का प्रधान पुरोहित था।
- अकबर ने दीन -ए -इलाही धर्म को 1582 ईस्वी में लागू किया। इसको बनाने का मुख्य उद्देश्य विश्वबंधुत्व था
- अबुल फजल ने अकबर को जिल्ला -ए -इलाही (खुदा की परछाई) एवं फर्र -ए -इज्दी (खुदा से निकलने वाली रोशनी) कहा है।
- आईने -अकबरी(अकबरनामा का तीसरा खंड) पुस्तक का लेखक अबुल फजल था।
- अकबर की आत्म कथा अकबरनामा को अबुल फज़ल ने लिखा था।
- पंचतत्र का फारशी में अनुवाद अबुलफ़ज़ल ने अनवर-ए -सादात नाम से किया
- 1602 ईस्वी में जहांगीर के कहने पर वीरसिंह बुंदेला नामक सरदार ने दक्षिण से आगरा की ओर आरहे अबुलफज़ल की हत्या कर दी।
4. फैजी (1547-1595)-
- फैजी अकबर के दरबार में राज कवि था।
- फैजी के निर्देश में महाभारत का फारशी में रज्जमनामा (युद्धों की पुस्तक) नाम से अनुवाद किया गया। महाभारत का फारशी भाषा में अनुवाद नकीब खां, अब्दुल कदीर बदायूंनी तथा शेख सुल्तान ने महाभारत और रामायण का फारशी में अनुवाद किया।
- फैजी में लीलावती का फारशी में अनुवाद किया। और नल दमयंती (सूरदास द्वारा रचित) कथा का फारशी में किया और इसका नाम सहेली रखा।
5. टोडरमल-
- टोडरमल अकबर के दरबार का राजस्व मंत्री था।
- अकबर के शासन काल में टोडरमल ने दहशाला पद्धति की शुरुआत की।
- टोडरमल के भू -राजस्व व्यवस्था में परौती भूमि कभी भी खाली नहीं रहती थी।
- अकबर के शासन काल में करोड़ी शब्द का प्रयोग भू -राजस्व विभाग के अधिकारी के लिए किया गया।
- टोडरमल को 1582 ईस्वी में दीवान -ए -अशरफ का पद दिया गया।
- अकबर के दीवान राजा टोडरमल खत्री जाती के थे।
- टोडरमल को अकबर द्वारा राजा की उपाधि प्रदान की जाती है।
- टोडरमल पहले शेरशाहसूरी के दरबार में रहता था।
- 1580 ईस्वी में टोडरमल ने आईं -ए -दहशाला पद्धति लागू की।
6. अब्दुल रहीम खान -ए -खाना-
- अब्दुल खान -ए -खाना बैरम खां का पुत्र था।
- अब्दुल खान -ए -खाना जहाँगीर का गुरु था।
- अब्दुल खान -ए -खाना हिंदी का विद्वान् था।
- अकबर के दरबार का रसोइया था।
8. मुल्ला -दो -प्याजा
9. मानसिंह, आमेर का शासक
अकबर के दरबार में अन्य व्यक्ति -
1. चित्रकार -
अकबर के समय में मुद्राएं एवं सिक्कें -
9. मानसिंह, आमेर का शासक
अकबर के दरबार में अन्य व्यक्ति -
1. चित्रकार -
- अकबर के दरबार में दसवंत, बसावन, अब्दुल समद एवं बिशन दास आदि चित्रकार थे।
- दसवंत एवं बसावन अकबर के दरबार के प्रमुख चित्रकार थे।
- अब्दुल समद के द्वारा दास्तान -ए -अमीर हम्जा का चित्रांकन किया गया था, अकबर ने इसे मुल्तान का दीवान नियुक्त किया था।
- अकबर ने चित्रकार दसवंत को टकसाल का अधिकारी नियुक्त किया था।
- जाट नेता राजाराम अकबर के मकबरे को खोदकर हानि पहुंची तथा उसके कब्र को खोदकर उसके हड्डियों को जलाया था।
- अकबर के दरबार के प्रमुख गायक तानसेन, बाज बहादुर, बाबा रामदास एवं बैजू बाबरा थे।
- अकबर ने जगत गुरु की उपाधि जैनाचार्य हरिविजय सूरी को दी यह जैन धर्म का था।
- अकबर के समय अमलगुजार नाम के अधिकारी का काम भू -राजस्व का मूल्यांकन करना और संग्रहण करना था।
- मीर बख्शी अकबर के शासनकाल में सैनिक विभाग का प्रमुख था।
- दीवाने -बयूतात नामक अधिकारी का काम शाही कारखानों के खर्च का परीक्षण करना।
- अकबर के शासनकाल में शमसुद्दीन अतकाखाँ, टोडरमल और निजामुद्दीन खलीफा को वजीर के पद पर नियुक्त किया गया था।
- मुजफ्फर खां तुरबती को अकबर द्वारा दीवान का पूर्णरूपेण दर्जा दिया गया
- विन्सेंट स्मिथ ने अकबर के दीन -ए -इलाही को उसकी मूर्खता का स्मारक कहा है।
- सत्र 1581 ईस्वी को इतिहासकार विन्सेंट के अनुसार अकबर के समय को सबसे संकटपूर्ण माना है।
- शेख मुबारक ने 1579 में मजहर को तैयार किया था। इस मजहर में अकबर को यह अधिकार मिला की विरोधी न्यायिक धारणाओं में किसी एक को चुनने का प्रस्ताव किसी के सामने रख सके।
- मुल्ला मुहम्मद यजदी अकबर के विरुद्ध जौनपुर में फतवा जारी वाला उलेमा का सदस्य था।
- माहम अनगा मुग़ल काल की एकमात्र महिला प्रधानमंत्री थी।
- अकबर ने अमीर -उल -उमरा की उपाधि आमेर के राजा भारमल के पुत्र भगवान दास को दी
- अकबर ने राजा की उपाधि बीरबल और टोडरमल को दी।
- अकबर ने शीरी कलम की उपाधि अब्दुरसमद को दी। और जड़ी कलम की उपाधि मुह्हमद हुसैन कश्मीरी को दी।
- अकबर सम्राट बनाने पर बैरम खां को खान- ए -खाना की उपाधि देता है।
- अकबर ने सम्राट की उपाधि दक्षिण विजय के बाद (असीरगढ़ युद्ध 1601 ईस्वी) में ग्रहण की।
- अकबर ने दीवान-ए -वजीरात -ए -कुल नाम से नए पद का गठन किया था।
- जैन आचार्य हरिविजय सूरी को अकबर ने जगत-गुरु की उपाधि से सम्मानित किया था।
- अकबर ने मालिक -उश -शोअरा की पदवी फैजी को प्रदान की
- राजा बीरबल को अकबर ने कवि -प्रिय, कविराज और राजा की उपाधि प्रदान की।
- अकबर ने तानसेन को काष्ठाभरन वाणी विलाश की उपाधि प्रदान की।
अकबर के समय में मुद्राएं एवं सिक्कें -
- दिल्ली सल्तनत के बाद अकबर के द्वारा सर्वप्रथम स्वर्ण मुद्रा प्रचलन में लिया गया।, इसके शासन काल में सबसे बड़ी स्वर्ण मुद्रा शहंशाह थी।
- अकबर के समय जलाल, दरब, पांडाउ आदि चांदी के सिक्के थे।
- अकबर के शासन काल में चौकोर चंडी के सिक्के का नाम जलाली था।
- अकबर ने राम-सीता के आकृतियों से युक्त सिक्के चलवायें। तथा इसने रामसिया देवनागरी लेख से युक्त सिक्के चलवायें।सुल्तान बहलोल लोदी के समय की मुद्राएं अकबर के समय तक विनियम का माध्यम रहती है।
अकबर अन्य-
- अकबर के शासन की की प्रमुख विशेषता मनसबदारी प्रथा थी
- अकबर के समय सूफी संत सीम चिस्ती थे।
- अकबर की मृत्यु 16 अक्टूबर 1605 ईस्वी में हुई इसे आगरा के निकट सिकंदराबाद में दफनाया गया।
- अकबर के काल को हिंदी साहित्य का स्वर्णिम काल कहा जाता है।
- अकबर ने खानदेश को 1591 ईस्वी में जीता था।
- सिसोदिया राजपूत वंश ने अकबर समर्पण नहीं किया।
- अकबर ने बंगाल और बिहार को मुग़ल साम्राज्य में 1575 ईस्वी में मिलाया था।
- अकबर ने अधम खां को स्वयं मारा था।
- अहमद नगर की मुस्लिम शासिका चाँददबीबी थी जिसने बरार को अकबर को सौपा था।
- अकबर के राजदरबार की मुख्य भाषा फारशी थी।
- अकबर के काल की सैन्य व्यवस्था मनसबदारी व्यवस्था पर आधारित थी।
- गोलकुंडा का भाग अकबर के राज्य का भाग नहीं था।
- कश्मीर अकबर के समय एक प्रान्त नहीं था बल्कि एक जिला था
- अकबर के साम्राज्य में कुल 15 सूबे थे।
- मुग़ल सम्राट अकबर को हिंदी गीतों की रचना का श्रेय प्राप्त है।
- दीन -ए -इलाही के अनुयायी आपस में मिलाने पर जल्ले -जलाले -हु कह कर अभिवादन करते थे।
- सुलह -ए कुल(सार्वभौम शांति और भाईचारा ) का सिध्दांत अकबर ने प्रतिपादित किया।
- अकबर की सन्तानो का जन्म शाही हरम के बजाय सूफी संत की खानकाह में हुआ था।
- अकबर इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ -प्रथम का समकालीन था।
- लन्दन में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के गठन के समय भारत का बादशाह अकबर था। अकबर के दरबार में आने वाला अंग्रेज रॉल्फ फिच था।
- अकबर के शासन काल में भारत आने वाला यात्री मानडेल्सलो था।
- अकबर मोईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह पर दर्शन करने जाता था।
- अकबर ने प्रयाग नगर को अल्लाहाबाद -अल्लाह का नगर दिया था।
- अकबर ने राजपूतो के कछवाहो के गृह से सर्वप्रथम वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित किया था।
- अकबर ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर के निर्माण के लिए अपनी भूमि अनुदान पर देदी थी।
- अकबर ने ईसाइयो को गिरिजाघर बनवाने के लिए आगरा और लाहौर में अनुमति प्रदान की
- अकबर को उसके मृत्यु के बाद उसे अर्श -आशियानी (स्वर्ग में रहने वाला) कहा जाता है।
- अकबर नक्कारा (नगाड़ा) बजाता था
- मुगलों की राज भाषा फारशी थी।
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