1822 में बंगाल में रैयत के अधिकारों की सुरक्षा हेतु बंगाल काश्तकारी अधिनियम पारित किया गया.
बंगाल काश्तकारी अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि यदि रैयत अपना निश्चित किराया देती रहे तो उसे विस्थापित नहीं किया जाएगा साथ ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर किराया भी नहीं बढ़ाया जाएगा.
बंगाल काश्तकारी अधिनियम में यह व्यवस्था थी कि यदि रैयत अपना निश्चित किराया देती रहे तो उसे विस्थापित नहीं किया जाएगा साथ ही विशेष परिस्थितियों को छोड़कर किराया भी नहीं बढ़ाया जाएगा.
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