आधुनिक भारत का इतिहास PART- 2
इस अंक में आप, अंग्रेजो द्वारा कंपनी की स्थापना, अंग्रेजो की चाल और प्लासी का युद्ध, बक्शर का युद्ध, अंग्रेज प्रशासन का विभाजन, 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट, अंग्रेजो का दक्षिण भारत अभियान, कंपनी का मराठा साम्राज्य से अभियान/युद्ध आदि परीक्षापयोगी रूपरेखाओं पर विस्तार से चर्चा की गई है।
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इस घटना के सभी काल क्रमों (TIME LINE) को निचे दिया गया है, जिससे समझने में और डेट्स को याद करने में काफी आसानी होगी।
इस घटना के सभी काल क्रमों (TIME LINE) को निचे दिया गया है, जिससे समझने में और डेट्स को याद करने में काफी आसानी होगी।
अंग्रेजो द्वारा कंपनी की स्थापना -
- अंग्रेजो ने अपनी कंपनी बंगाल सूबे के कलकत्ता हुगली नदी के किनारे पर खोली थी, और वहां के लोगो को व्यापर करने के लिए आमंत्रित किया। उस समय तक औरंजेब का शासन पूरे उत्तर भारत सहित पूर्व के इलाको में व्याप्त था।
- इसी जगह पर हुगली नदी के किनारे अंग्रेंजो ने विलियम फोर्ट नाम का किला भी बना लेते है।
- व्यापर में बड़ोतरी के लिए BEIC ने स्थानीय लोगो को फैक्ट्री के आस पास रहने के लिए राजी किया।
- 1696 ईस्वी तक अंग्रेजो ने फक्ट्री के चारो तरफ कीलेबंदी करने लगतें है. जिससे वहां के स्थानीय राजाओ को परेशानी होती है।
- 1698 ईस्वी तक अंग्रेजों ने मुग़ल अधिकारिओं को रिश्वत देकर तीन गांओ (कालीकट, गोविंदपुर और सूतानुती) की जमींदारी लेली थी, अंग्रेजो ने औरंजेब (1658 -1707)को फरमान (व्यापर करने के लिए राजशी आदेश) के लिए राजी किया। जिसमे व्यापार को मुफ्त करने का फरमान था। 1707 में औरंजेब की मृत्यु हो जाती है।
- बंगाल (मुर्शिदाबाद) के राजा सिराजुद्दोला(1756) को अंग्रेंजो द्वारा टैक्स कम देने से उसे परेशानी हुई।
- औरंगजेब की मृत्यु के बाद सभी सुबो के राजा अपने सुबे को अलग देश घोसित करने लग जातें है। अवं अपनी शक्तियों का विस्तार करने लगतें है।
- अंग्रेज इन छोटे राजाओ को आपस में लड़ाने लगतें है।
- औरंजेब की मृत्यु के बाद इसका बेटा 1707 ईस्वी में बहादुर शाह -प्रथम(दिल्ली का सातवा मुग़ल बादशाह) नया मुग़ल शासक बनता है।
- बंगाल के अन्य सूबेदार मुर्शिद कुली खां (1717 -1727 ) तथा अलीवर्दीखां (1740-1756) तक बंगाल का नवाब था। अंग्रेजो के क्रियाकलापों से इन सब राजाओ को खाफी परेशानी होती थी।
- मुर्शिदाबाद के राजा सिराजुद्दोला ने अंग्रेजो को इनके ही कीलें फोर्ट विलियम्स में कैद कर लिया, लगभग 220अंग्रेजो में से केवल 25-३० ही अंग्रेज बचे थे, उस दिन के इतिहास को ब्लैक होल कहा जाता है. यह दास्तान 20 जून 1756 ईस्वी को हुई थी।
- उस समय तक अंग्रेजो ने कलकत्ता, मद्रास, मुंबई(पुर्तगाल की राजकुमारी का विवाह अंग्रेजो के राजा के साथ हुआ था उन्होंने मुंबई को दहेज़ में दे दिया) स्थाई पोस्ट कीलें बना लिए थे।
- इस कांड की जैसे सूचना मद्रास(तमिलनाडु) प्रमुख राबर्ट क्लाइव(पहले यह शॉपकीपर का काम करता था) को मिलती है, इसने 2 से 3 सौ की सेना सहित को कलकत्ता अंग्रेजो की सहायता के लिए गया।
अंग्रेजो की चाल और प्लासी का युद्ध-
- क्लाइव सीधा मीर जाफर (सिराजुद्दोला का सेनापति)के पास जाता है और उसे राजा बनाने का लालच देकर उसे अपनी तरफ मिला लेता है।
- 1757 ईस्वी में प्लासी का युद्ध हुआ और अंग्रेंजो ने सिराजुद्दोला को हरा कर सेनापति मीरजाफर को बंगाल/मुर्शिदाबाद का राजा बना देतें है। मीर जाफर पपेट राजा (अंग्रेजो के इसारों पर चलने वाला) था।
- इससे राबर्ट क्लाइव का कद काफी ऊँचा हो जाता है। बंगाल कंपनी का मालिक बन जाता है.
- इस युद्ध के बाद अंग्रेंजो की आंतरिक शक्ति मजबूत हो गई थी।
- 1757 ईस्वी में कंपनी ने मीरजाफर के पास वारेन हेस्टिंग नाम के रजीडेन्स (स्थाई निवासी) को मुर्शिदाबाद में भेजते है। वारेन हेस्टिंग कीलें में कैद के बाद बचे हुए अंग्रेजो मे से था।
- इससे मीरजाफर को भी काफी परेशानी हुई उसे टैक्स नहीं मिल रहा था इसलिए उसने भी विद्रोह किया।
- 1760 ईस्वी में मीरजाफर के बाद इसके भतीजे मीर काशिम को कंपनी ने राजा बना देतीं है यह भी पपेट राजा था.
बक्शर का युद्ध 1764 -
- बाद में मीरकासिम को भी परेशानी हुई, उसने अवध के राजा सुजाउद्दौला तथा दिल्ली के शासक शाहआलम द्वितीय (मुग़ल) से संपर्क करके बक्शर(बिहार)नामक जगह पर इन तीनो और अंग्रेजो के साथ युद्ध होता है।
- इस युद्ध में अंग्रेजो के सेनापति का नाम मेजर हेक्टर मुनरो था।
- इस युद्ध अंग्रेजो की जीत हो जाती है।
- अंग्रेजो ने मीरकासिम को मार कर मीरजाफर को पुनः मुर्शिदाबाद का राजा बना देंतें है।
- 1765 ईस्वी में मीर जाफर की भी मृत्यु हो जाती है।
- मीरजाफर की मृत्यु के बाद पहली बार अंग्रेजो यह सोचा की क्यू न हम ही राजा बन जाएँ और शासन करें।
- अंग्रेजो ने अपनी कंपनी बंगाल सूबे के कलकत्ता हुगली नदी के किनारे पर खोली थी, और वहां के लोगो को व्यापर करने के लिए आमंत्रित किया। उस समय तक औरंजेब का शासन पूरे उत्तर भारत सहित पूर्व के इलाको में व्याप्त था।
- इसी जगह पर हुगली नदी के किनारे अंग्रेंजो ने विलियम फोर्ट नाम का किला भी बना लेते है।
- व्यापर में बड़ोतरी के लिए BEIC ने स्थानीय लोगो को फैक्ट्री के आस पास रहने के लिए राजी किया।
- 1696 ईस्वी तक अंग्रेजो ने फक्ट्री के चारो तरफ कीलेबंदी करने लगतें है. जिससे वहां के स्थानीय राजाओ को परेशानी होती है।
- 1698 ईस्वी तक अंग्रेजों ने मुग़ल अधिकारिओं को रिश्वत देकर तीन गांओ (कालीकट, गोविंदपुर और सूतानुती) की जमींदारी लेली थी, अंग्रेजो ने औरंजेब (1658 -1707)को फरमान (व्यापर करने के लिए राजशी आदेश) के लिए राजी किया। जिसमे व्यापार को मुफ्त करने का फरमान था। 1707 में औरंजेब की मृत्यु हो जाती है।
- बंगाल (मुर्शिदाबाद) के राजा सिराजुद्दोला(1756) को अंग्रेंजो द्वारा टैक्स कम देने से उसे परेशानी हुई।
- औरंगजेब की मृत्यु के बाद सभी सुबो के राजा अपने सुबे को अलग देश घोसित करने लग जातें है। अवं अपनी शक्तियों का विस्तार करने लगतें है।
- अंग्रेज इन छोटे राजाओ को आपस में लड़ाने लगतें है।
- औरंजेब की मृत्यु के बाद इसका बेटा 1707 ईस्वी में बहादुर शाह -प्रथम(दिल्ली का सातवा मुग़ल बादशाह) नया मुग़ल शासक बनता है।
- बंगाल के अन्य सूबेदार मुर्शिद कुली खां (1717 -1727 ) तथा अलीवर्दीखां (1740-1756) तक बंगाल का नवाब था। अंग्रेजो के क्रियाकलापों से इन सब राजाओ को खाफी परेशानी होती थी।
- मुर्शिदाबाद के राजा सिराजुद्दोला ने अंग्रेजो को इनके ही कीलें फोर्ट विलियम्स में कैद कर लिया, लगभग 220अंग्रेजो में से केवल 25-३० ही अंग्रेज बचे थे, उस दिन के इतिहास को ब्लैक होल कहा जाता है. यह दास्तान 20 जून 1756 ईस्वी को हुई थी।
- उस समय तक अंग्रेजो ने कलकत्ता, मद्रास, मुंबई(पुर्तगाल की राजकुमारी का विवाह अंग्रेजो के राजा के साथ हुआ था उन्होंने मुंबई को दहेज़ में दे दिया) स्थाई पोस्ट कीलें बना लिए थे।
- इस कांड की जैसे सूचना मद्रास(तमिलनाडु) प्रमुख राबर्ट क्लाइव(पहले यह शॉपकीपर का काम करता था) को मिलती है, इसने 2 से 3 सौ की सेना सहित को कलकत्ता अंग्रेजो की सहायता के लिए गया।
- क्लाइव सीधा मीर जाफर (सिराजुद्दोला का सेनापति)के पास जाता है और उसे राजा बनाने का लालच देकर उसे अपनी तरफ मिला लेता है।
- 1757 ईस्वी में प्लासी का युद्ध हुआ और अंग्रेंजो ने सिराजुद्दोला को हरा कर सेनापति मीरजाफर को बंगाल/मुर्शिदाबाद का राजा बना देतें है। मीर जाफर पपेट राजा (अंग्रेजो के इसारों पर चलने वाला) था।
- इससे राबर्ट क्लाइव का कद काफी ऊँचा हो जाता है। बंगाल कंपनी का मालिक बन जाता है.
- इस युद्ध के बाद अंग्रेंजो की आंतरिक शक्ति मजबूत हो गई थी।
- 1757 ईस्वी में कंपनी ने मीरजाफर के पास वारेन हेस्टिंग नाम के रजीडेन्स (स्थाई निवासी) को मुर्शिदाबाद में भेजते है। वारेन हेस्टिंग कीलें में कैद के बाद बचे हुए अंग्रेजो मे से था।
- इससे मीरजाफर को भी काफी परेशानी हुई उसे टैक्स नहीं मिल रहा था इसलिए उसने भी विद्रोह किया।
- 1760 ईस्वी में मीरजाफर के बाद इसके भतीजे मीर काशिम को कंपनी ने राजा बना देतीं है यह भी पपेट राजा था.
बक्शर का युद्ध 1764 -
- बाद में मीरकासिम को भी परेशानी हुई, उसने अवध के राजा सुजाउद्दौला तथा दिल्ली के शासक शाहआलम द्वितीय (मुग़ल) से संपर्क करके बक्शर(बिहार)नामक जगह पर इन तीनो और अंग्रेजो के साथ युद्ध होता है।
- इस युद्ध में अंग्रेजो के सेनापति का नाम मेजर हेक्टर मुनरो था।
- इस युद्ध अंग्रेजो की जीत हो जाती है।
- अंग्रेजो ने मीरकासिम को मार कर मीरजाफर को पुनः मुर्शिदाबाद का राजा बना देंतें है।
- 1765 ईस्वी में मीर जाफर की भी मृत्यु हो जाती है।
- मीरजाफर की मृत्यु के बाद पहली बार अंग्रेजो यह सोचा की क्यू न हम ही राजा बन जाएँ और शासन करें।
प्रशासन का विभाजन (1765- 1772)-
प्रशासन का विभाजन (1765- 1772)-
- 1765 ईस्वी में राबर्ट क्लाइव ने कंपनी प्रमुख को एक पत्र लिखता है जिसमे वह कहता है की अब हमें स्वयं शासक बन जाना चाहिए।
- मीरजाफर की मृत्यु के बाद कंपनी ने मुर्शिदाबाद में मीरजाफर की सेना को हटाकर अपनी सेना रख लेता है। और दो तरह से शासन करती है, पहला कंपनी जिसके पास रक्षा शक्ति थी और दूसरा नवाव (जिसके पास लोक प्रशासन के काम काज) जिसको कहा गया की आप राजस्व इकठा करिएँ और कुछ हमें देदिजिये थी।
- 1765 ईस्वी शाह आलम दुतिय ने कंपनी को बंगाल का दिवान बना देती है। अब कंपनी केवल राजस्व इकठ्ठा करती और राजा को उसमे से थोड़ा सा दे देती, कंपनी अब भारत का पैसा, भारत की वस्तुएं खरीदने में लगाती तथा मुनाफा इंग्लैण्ड में सुरक्षित करती थी। अब अंग्रेज नवाबो के जैसे रहने लगें थे।
गवर्नर जनरल वारेनहेस्टिंग -
- 1765 ईस्वी में राबर्ट क्लाइव ने कंपनी प्रमुख को एक पत्र लिखता है जिसमे वह कहता है की अब हमें स्वयं शासक बन जाना चाहिए।
- मीरजाफर की मृत्यु के बाद कंपनी ने मुर्शिदाबाद में मीरजाफर की सेना को हटाकर अपनी सेना रख लेता है। और दो तरह से शासन करती है, पहला कंपनी जिसके पास रक्षा शक्ति थी और दूसरा नवाव (जिसके पास लोक प्रशासन के काम काज) जिसको कहा गया की आप राजस्व इकठा करिएँ और कुछ हमें देदिजिये थी।
- 1765 ईस्वी शाह आलम दुतिय ने कंपनी को बंगाल का दिवान बना देती है। अब कंपनी केवल राजस्व इकठ्ठा करती और राजा को उसमे से थोड़ा सा दे देती, कंपनी अब भारत का पैसा, भारत की वस्तुएं खरीदने में लगाती तथा मुनाफा इंग्लैण्ड में सुरक्षित करती थी। अब अंग्रेज नवाबो के जैसे रहने लगें थे।
गवर्नर जनरल वारेनहेस्टिंग -
वारेंहेस्टिंग |
- 1771 ईस्वी में वारेंहेस्टिंग को बंगाल का गवर्नर बनाया गया। गवर्नर जनरल 1773 के रेगुलेटिंग एक्ट के बाद बनता है।
- 1772 में वारेन हेस्टिंग इक नया प्लान लेकर आया- बिहार, उड़ीशा और बंगाल के कई सारे सुबो को जिलों में बाँट दिया, यहाँ से सबसे पहले जिलों के नाम से सुबो का विभाजन होने लगता है। और उन जिलों का हेड कलेक्टर को बना दिया गया। फौजदारी(CRIMINAL) और दीवानी (CIVIL)अदालते कलेक्टरो के अधीन आ गई कलेक्टरो की सहायता के लिए काजी पंडितो को मदद करने को कहा गया इससे अंग्रेजो को भारतीय कानून को समझने के लिए सहायता मिली।
- इसकी एक प्रमुख कमी यह थी की कलेक्टर को ज्यादा शक्ति देदी गई थी।
- 1773 ईस्वी में कलकत्ता के फोर्ट विलियम में सुप्रीम कोर्ट की स्थापना हुई.
1773 का रेगुलेटिंग एक्ट -
- ब्रिटेन से सन् 1773 में यह एक्ट आता है की आप कंपनी को रेगुलेट करके चलाएं। सारे कामो को रेगुलर तरीको से करने के लिए यह एक्ट लाया गया।
- कंपनी को रेगुलेट करने के लिए भ्रस्टाचार को कम करने के लिए कंपनी के लिए कुछ नियम बनायें जातें है.
- कंपनी ने एक गवर्नर जनरल की पोस्ट को निर्धारित किया।
- सुप्रीम कोर्ट बनाई जाती है।
- बंगाल के गवर्नर वारेन हेस्टिंगं को गवर्नर जनरल बना दिया जाता है। मद्रास और बॉम्बे के गवर्नरो को इसके अधीन काम करना पड़ता है। इस तरह बंगाल का पहला गर्वनर जनरल वारेन हेस्टिंग को बना दिया जाता है।
अंग्रेजो का दक्षिण भारत अभियान -
- कंपनी राज करने के लिए अपने क्षेत्र को बड़ना शुरू कर देती है। उनका प्रमुख उद्देश्य भारत पर राज करना हो गया था।
- इसने उस समय के राजाओ मराठा, मैसूर और हैदराबाद साम्राज्य को अपने अधिन करके जीतने की कोसिस की.
- मैसूर के साथ अंग्रेजो ने चार युद्ध लड़े
मैसूर युद्ध-
पहला मैसूर(कर्नाटक) युद्ध सन् 1767-1769 -
- इस युद्ध में अंग्रेजो का मुकाबला हैदरअली(मैसूर का शासक) से हुआ था जिसमे अंग्रेजो की हार हुई.
- अंग्रेजो ने निजाम(हैदराबाद की पूर्व राजशाही) से मदद मांगी थी, उन्होंने मदद करने से इंकार कर दिया था।
- युद्ध के बाद मद्रास का ज्यादातर हिस्सा कंपनी ने लेलिया, उस समय तक मद्रास के थोड़ा उत्तर पांडुचेरी(तमिलनाडु) में फ्रेंच या फ्रांसीसी(1664 ईस्वी) लोगो का शासन था, इन्होने भी शासन करने की सोची लेकिन डूप्ले(फ्रंसिसिओं का सेनापति) सफल नहीं हो पाया था.
- 1782 में हैदरअलीकी मृत्यु हो जाती है। हैदरअली के बेटे का नाम टिपूसुल्तान था।
दूसरा मैसूर युद्ध 1780-1784 -
टीपूसुल्तान |
- इस युद्ध में अंग्रेजो का मुकाबला टीपूसुल्तान से हुआ था, यह बहुत खूनी युद्ध था, जिसमे अंग्रेजो की हार हुई.
- मंगलुरु(बंगलुर, कर्नाटक ) मैसूर(टीपुसुल्तान) के कब्जे में आ गया था।
तृतिय मैसूर युद्ध।1790-1792-
- इस युद्ध में अंग्रेजो का मुकाबला टिपूसुल्तान से हुआ था, टीपू सुल्तान ने फ्रैंच आर्मी को अपने साथ मिला लेता है।
- मैसूर ने त्रावरकोर(तमिलनाडु का दक्षिणी भाग)पर कब्ज़ा कर लिया था। लेकिन कंपनी ने मैसूर की राजधानी श्रीरंगपुरम पर कब्ज़ा कर लिया। इस तरह से इस युद्ध में कंपनी की जीत हुई
- युद्ध के समझौते में गवर्नर जनरल कार्नवालिस ने 1793 में टीपूसुल्तान के बेटे को अपने पास कब्जे में रख लिया था। अब कंपनी की निगाहे मराठा साम्राज्य की तरफ थी।
चौथा मैसूर युद्ध 1799 -
- इस युद्ध में अंग्रेजो का मुकाबला पुनः टिपूसुल्तान से हुआ था, इस युद्ध में टिपूसुल्तान मारा गया।
- टिपूसुल्तान अंग्रेजो का बहुत ही कट्टर विरोधी था।
- इसी समय फ़्रांस की क्रांति चल रही थी (फ्रांसीसी क्रांति 1789-1799) फ्रांस और इंग्लॅण्ड (अंग्रेज)आपस में अफ्रीका(मिश्र या इजिप्ट) में लड़ रहे थे, फ्रांस की सेना का नेतित्व नेप्कोलियन बॉलपोट नाम का व्यक्ति कर रहा था। इसी व्यक्ति को टिपूसुल्तान ने खत लिखा था और कहा की आप इजिप्ट में अंग्रेजो को हराकर भारत आकर यहाँ भी हरानें में मदद करिये।
- इस युद्ध में मराठाओ तथा हैदराबाद के निजाम से मदद लेकर अंग्रेजो ने चारो तरफ से आक्रमण किया था।
इस युद्ध के दौरान गवर्नर जनरल -
☆ वारेन हेस्टिंग - 1773 -1785 बंगाल विजय।
☆ कॉंर्नवालिस -1786 -1793, दुतीय मैसूर युद्ध
☆ लार्ड वैलेसली -1798-1805, चौथा मैसूर युद्ध।
कंपनी का मराठा साम्राज्य से अभियान-
☆ वारेन हेस्टिंग - 1773 -1785 बंगाल विजय।
☆ कॉंर्नवालिस -1786 -1793, दुतीय मैसूर युद्ध
☆ लार्ड वैलेसली -1798-1805, चौथा मैसूर युद्ध।
कंपनी का मराठा साम्राज्य से अभियान-
- 1761 ईस्वी में पानीपत(हरियाणा) का तृतिय युद्ध मराठाओ और अहमद- शाह- अब्दाली (अफ़ग़निस्तान का शासक) के बिच हुआ था, इस युद्ध में मराठा हार गए थे, और यही से मराठाओ का पतन शुरू हो गया था।
- मराठा साम्राज्य बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ था, अब कंपनी की निगाहे मराठा साम्राज्य की तरफ थी।
- मराठो और अंग्रेजो के बिच तीन युद्ध हुए थे।
अहमद- शाह- अब्दाली |
पहला युद्ध (1775-82) -यह युद्ध सूरत की संधि से सुरु हुआ और सालबाई की संधि पर ख़त्म हो गया।
दूसरा युद्ध (1803-05)- इस युद्ध में अंग्रेओ ने ओडिशा वाले क्षेत्र को जीत लिया था।
तीसरा (1817-1818)- इस युद्ध में अंग्रेजो ने मराठाओ को पूरी तरह से नस्ट कर दिया था। पेशवा(मराठा साम्राज्य के प्रधानमंत्री) को पिठुर (कानपूर) पेंसन पर भेज दिया गया।और कंपनी ने अपने साम्राज्य का विस्तार करने लगी।
इस युद्ध के दौरान गवर्नर जनरल-
☆ वारेंहेस्टिंग
☆ लार्ड कार्नवलिस
☆ जॉन शोर(John Shore)-1793-1798
☆ Fancis Hasting(1813-1823)
Timeline-
- 1698 में तीन गाओ की जमींदारी अंग्रेंजो ने लेली।
- 1707 औरंजेब की मृत्यु हो जाती है 1707 ईस्वी में बहादुर शाह -प्रथम(दिल्ली का सातवा मुग़ल बादशाह) बना।
- 1756 सिराजुद्दोला फोर्ट विल्लियम में सभी अंग्रेंजो को बंदी बना लेता है।
- 1757 प्लासी का युद्ध-अंग्रेंज VS सिराजुद्दोला
- 1760 मीर काशिम को मुर्शिदाबाद का नवाब बनाया गया।
- 1764 को मीरकासिम की मृत्यु
- 1765 मीरकासिम की मृत्यु हो जाती है।तथा रॉबर्ट क्लाइव ने कंपनी प्रमुख को पत्र लिखा। की अब हम स्वयं शासन करना चाहतें है।
- 1770 में बंगाल में आकाल पड़ता है..
- 1771 में वारेन हेस्टिंग को बंगाल का गवर्नर बना दिया जाता है।
- 1772 में वारेन हेस्टिंग ने न्यायिक प्लान
- 1767-1769 पहला मैसूर(कर्नाटक) युद्ध
- 1761 ईस्वी में पानीपत(हरियाणा) का तृतिय युद्ध
- 1775-82 मराठो और अंग्रेजो के बिच पहला युद्ध
Bhut accha
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