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Wednesday, April 15, 2020

adhunik bharat ka itihas, सहायक संधि, एंग्लो अफगान और एंग्लो शिक्ख युद्ध आदि।



आधुनिक भारत का इतिहास  PART- 3

अभ्यर्थियों के लिए - पार्ट 1,2 और पार्ट 3 को कम समय में पूरा रीविजशन करने के लिए मैजिकल पार्ट जरूर देंखे इक भी टॉपिक नहीं छूटेगा।  अगर आपने PREVIOUS PARTS को नहीं देखा है तो जरूर देखें। https://amacquire.blogspot.com/2020/04/ADHUNIK-BHARAT-KA-ITIHAS-MAGICLE-POST.html

सब्सिडियरी एलाइंस(सहायक संधि)-
  • कंपनी बाकी राज्यों को अपने क्षेत्र में मिलाना चाहती थी युद्ध कम करना चाहती थी कंपनी ने सब्सिडियरी एलाइंस सहायक संधि नाम की पॉलसी लेकर आई.
  • कंपनी ने कहा कि भारतीय राजा अपनी सेना नहीं रखेंगे राजाओं की रक्षा वह स्वयं करेगी सेनाओं के खर्चे के लिए राजा कंपनी को पैसे देगी। 
  • यह सिद्धांत रीचर्ड वैलेस्ली ने सुझाया था। यह  1798-1805  ईस्वी तक बंगाल का  गवर्नर जनरल  रहा।  इसने कई सुबो के साथ संधि कर ली थी। 
  • 1764 में बक्सर के युद्ध में सुजाउद्दौला अंग्रेजो से  के बाद अंग्रेजो ने कहा की आप अपनी सेना नहीं रख सकते। अनौपचारिक रूप से यही से सहायक संधि की शुरुआत हो गई थी।
1830 के  आस-पास अंग्रेजो को रूस से डर लगाने लगा था, कंपनी को डर था की  रूस उत्तर -पक्षिम  से भारत पर आक्रमण कर दे इसी डर के कारण कम्पनी ने नार्थ-वेस्ट की सिमा को सुरक्षित किया। कंपनी 

एंग्लो- अफगान युद्ध -
  • कंपनी  उत्तर पक्षिम वाले क्षेत्र को सुरक्षित करने के लिए अफगानिस्तान वाले क्षेत्र  आक्रमण करती है। और अप्रत्यक्ष शासन लागु कर लेती है। 
  • 1838-1842 ईस्वी में यह युद्ध हुआ जिसमे अंग्रेजो ने सिंध पर कब्जा कर लिया। 
  
एंग्लो-सिक्ख युद्ध -1845-46 
  • युद्ध जीत के दौरान अंग्रेजो का अगला निशाना पंजाब वाले क्षेत्र पर था। जहां पर महाराजा रणजीत सिंह (1801 -1839) का  शासन भारत के उत्तर -पक्षिम वाले भाग पर था,कंपनी इनके शासन से काफी डरती थी
  • महाराजा रणजीत सिंह की 1839 ईस्वी में मृत्यु हो जाती है,इनके बेटे का नाम दिलीप सिंह था यह अपने पिता के शासन को सही से चला नहीं पाया। 
महाराजा रणजीत सिंह (1801 -1839)

पहला एंग्लो- सिख्ख युद्ध-

·         यह युद्ध 1845 -1846 ईस्वी मे हुआ था, जिसमे पंजाब का कुछ हिस्सा अंग्रेज़ो ने जीत लिया था।
 दूसरा एंग्लो-सिक्ख यूद्ध –
·        यह युद्ध 1848-1849 ईस्वी मे हुआ था, जिसमे पंजाब को अंग्रेज़ो ने पूरी तरह अपने कब्जे मे ले लिया था।
·        इस युद्ध जीत के बाद अंग्रेज़ अपने आप को रूस से सुरक्षित पाने लगें। 

इस समय तक गवर्नर गनरल-

1.     हेनरी हरड़िंगे -1844-1848

   2. लार्ड डलहोजी -1848-1856

लार्ड डलहोजी- इसके समय पर सभी सब्सिदारी रेंज के राजाओ को सीधे ब्रिटेन के अंडर मे ले लिया गया।  
1.       इसने डोक्टराइन ऑफ लैप्स(विलय का सिधान्त) नाम की पॉलिसी सुरू की इसका मतलब यह था की अगर किसी राजा का बेटा नहीं है तो उसका साम्राज्य अंग्रेज़ो मे मिला लिया जाएगा।
इस नीति से-
1.       सतारा(महाराष्ट) को 1848
2.       सम्बलपुर(उड़ीशा) को 1850 मे
3.       उदयपुर को 1852 मे
4.       नागपूर को 1853 मे
5.       झांसी को 1845 मे (दत्तक पुत्र दामोदर राव को अंग्रेज़ो ने नही माना की यह सासक बने।)
6.       अवध को 1856 मे वाजिद –अली –शाह को शासन सही से ना चला पाने के आरोप मे अधीन किया।)
·         नोट : इन सब कारणो से 1857 ईस्वी मे सिपाही विद्रोह हुआ जिसे भारत का पहला स्वतंत्रता संग्राम कहा जाता है
·         1858 ईस्वी मे गोवरमेंट ऑफ इंडिया एक्ट (GOI ACT) लयागया जिससे BEIC को भंग कर दिया गया। अब पूरा भारत ब्रिटिश सत्ता के हाथो मे चला गया। जिसे ब्रिटिश राज बोला जाता है।


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