मुग़ल शासक हुमायूँ, का परिचय, प्रमुख शैन्यअभियाँन,महत्वपूर्ण कार्य,हुमायूँ से जुड़े कुछ अन्य तथ्य,जो आपकी हर परीक्षाओ के लिहाज से जरुरी है इस टोपिक से आपके सायद ही कोई प्र्श्न छूटे - AM VIEWS

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Sunday, March 29, 2020

मुग़ल शासक हुमायूँ, का परिचय, प्रमुख शैन्यअभियाँन,महत्वपूर्ण कार्य,हुमायूँ से जुड़े कुछ अन्य तथ्य,जो आपकी हर परीक्षाओ के लिहाज से जरुरी है इस टोपिक से आपके सायद ही कोई प्र्श्न छूटे

      Dear readers इस आर्टिकल में हुमायूँ के सभी आयामों को  कवर किया गया है कृपया इसे जरूर देखें। article को पूरी तरह जाँच कर बनाया गया है, किसी भी त्रुटि के लिये क्षमा चहता हूँ। कृपया अपना सुझाव जरूर दे धन्यवाद !  

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मुग़ल शासक हुमायूँ(1530 -1540 )-(1555-1556 )AD

मुग़ल शासक हुमायूँ(1530 -1540 )-(1555-1556 )AD

हुमायूँ का परिचय -

  • हुमायूँ के नाम का अर्थ भाग्यशाली है।  
  • हुमायूँ की माता का नाम माहम अनगा था। 
  • नशीरूद्दीन हुमायूँ का जन्म 17 मार्च 1508 ईस्वी को काबुल में हुआ था।
  • हुमायूँ बदख्शाँ (अफगानिस्तान ) का सूबेदार था।  
  • हुमायूँ 29 दिसंबर, 1530 ईस्वी को आगरा में 23 वर्ष की अवस्था में सिंहासन पर बैठा।
  • हुमायूँ जोतिषी में विश्वास रखताथा, यह हप्ते के सातो दिन सात रंग के कपड़े पहनताथा।                 

 →राज्य का बॅटवारा - हुमायूँ ने अपने राज्य का बॅटवारा अपने भाइयो में कर दिया अपने पिता के निर्देशानुशार।
  • कामरान को काबुल और कंधार। 
  • मिर्जा अस्करी को संभल (उप्र )।
  • मिर्जा हिन्दाल को अलवर और मेवाड़। 
  • सुलेमान मिर्जा (चचेरा भाई ) को बदख्शाँ  प्रदेश दिया। 

हुमायूँ के प्रमुख शैन्यअभियाँन-


→ कालिंजर का अभियान -1531 ईस्वी 
→ चुनार का अभियान -1532 ईस्वी-
गुजरात का अभियान (1535 )-यहाँ का शासक बहादुरशाह था।
→ चुनार का घेरा (1537 -1538 ) -जब हुमायूँ ने यहाँ घेराबंदी की तो यहाँ का शासक अफगान नरेश शेर खां था जो  क्षेत्र छोड़कर बंगाल चला गया।

चौशा का युद्ध (1539 ईस्वी )-
  • चौसा (बिहार ) का युद्ध हुमाऊं और शेर खां (शेर शाह सूरी ) के मध्य हुआ जिसमे हुमाऊं हार गया। इस युद्ध के बाद शेर खा ने शेरशाह की पदवी धारण कर ली थी। 
  • निजाम सक्का (भिस्ती) ने हुमायूँ को कर्मनाशा नदी पार करवाया था
  • हुंमायूं ने निजाम को इक दिन का बादशाह बनाया था जिसमे उसने चमड़े का सिक्का चलवाया था। 
  • इस एक दिन के बादशाह का वर्णन हुमांयुनामा में  मिलती है।

चौसा का युद्ध (25 जून 1539)

कन्नौज या बिलग्राम का युद्ध (17 मई 1540 ईस्वी ) -

    • कन्नौज या बिलग्राम का युद्ध हुमायूँ और शेर खां  के मध्य हुआ था जिसमे हुमायूँ हार गया। शेर खां ने आसानी से आगरा और दिल्ली पर कब्ज्जा कर लिया।  

    • हार के बाद हुमायूँ भारत छोड़ कर 15 वर्षो तक घुमक्कड़ों जैसा जीवन बिताया, सिंध, अमरकोट (पाक ) जाकर राणा वीरसाल के सरण लेली। 
    • हुमायूँ का निकाह अली अकबर जामी की पुत्री  हमीदाबानों बेगम से 1541  ईस्वी में हुआ जिसका पुत्र अकबर हुआ।
    • 1545 ईस्वी में हुमायूँ ने पुनः काबुल पर अधिकार कर लिया।  
    मच्छीवड़ा का युद्ध (1555 ईस्वी)- 
    •  यहाँ  पर दो युद्ध लड़े गए थे 1. मच्छीवाड़ा का युद्ध 2. सरहिंद का युद्ध 
    • इस युद्ध में हुमायूँ साथ में बैरम खां तथा  पंजाब का सूरी शासक सिंकंदर शाह सूरी साथ में सेनापति ततार खां से हुआ जिसमे हुमायूँ की जीत हुई। और हुमायूँ फिर से दिल्ली की गद्दी पर बैठा। 
    • हुमायूँ ने इस युद्ध के बाद फिर से मुग़ल साम्राज्य नई नीव भारत पर  डाल दी।
    • हुमायूँ के पुत्र अकबर को पंजाब का गवर्नर बना दिया गया और बैरम खा को अकबर का संरक्षक बनाया गया।

      हुमायूँ के द्वारा किये गए  कुछ महत्वपूर्ण कार्य-


    • 1533 ईस्वी में मित्र एवं शत्रु को प्रभावित करने के लिए हुमायूँ ने दीनपनाह नामक दुर्ग का निर्माण  करवाया। 
    • हुमायूँ ने बंगाल के गौड़ क्षेत्र का नाम जन्नताबाद रखा। 
    • हुमायूँ को चित्रकला की मुग़ल शैली का आरम्भ दाता  माना जाता है।
    • ख्वांदमीर को हुमायूँ ने अमीर -ए- आख्वार की उपाधि प्रदान की।


    दीनपनाह दुर्ग

    हुमायूँ से जुड़े कुछ अन्य तथ्य-

    • दिल्ली के पुराने किले का निर्माण हुमायूँ के शासन काल में हुआ जीसका निर्माण शेरशाह ने करवाया था।
    • हुमायूँ ने दो बार शासन किया था। 
    • कानून- ए -हुमायूँनी खगोलशास्त्र  हुमायूँ के प्रति अनुराग का चित्रण करता है। 
    • कानून -ए- हुमायूँनी ख्वांदमीर के द्वारा लिखी गई है।
    • हुमायूँ के दुर्भाग्य पर लेनपूल ने लिखा है की वह जीवन भर ठोकरें खाता रहा और ठोकरे खाकर ही उसके जीवन का अंत हो गया। 
    •  मेंहदिखाँजा को बाबर का उत्तराधिकारी मीरखालिफ़ा  बनाना चाहता था।

     मुग़ल चित्रों का उद्गम

    हुमायूँ का मकबरा -                                                                                      

    •  1 जनवरी 1556 को दीन पनाह धवन में स्थित पुस्तकालय शेर मंडल की सीढ़ी  से गिरने पर इसकी मृत्यु हो गई।
    • इसके मकबरे को हाजी बेगम ने बनवाया था। 
    • इसके मकबरे को बड़ा उद्दायान का  केंद्र और ताजमहल का पूर्व -रूप  जैसा प्रतीत माना जाता है।
    • इसके मकबरे को दिल्ली का ऐतिहासिक स्मारक तथा भारतीय तथा फारसी वास्तुकला शैली का उदाहरण माना जाता है।   
    • इसके मकबरे की स्थापत्य कला में चारबाग व्यवस्था का सर्वप्रथम  में लाया गया था। 
    • इसका मकबरा वफादार पत्नी और स्वर्गीय पति के लिए श्रद्धांजलि का प्रतीत है। 
    • इसके मकबरे में 6 बादशाह व सहजादे दफनाए गए है।
     
    हुमायूँ का मकबरा
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