Dear readers इस आर्टिकल में बाबर के सभी आयामों को कवर किया गया है कृपया इसे जरूर देखें। article को पूरी तरह जाँच कर बनाया गया है, किसी भी त्रुटि के लिये क्षमा चहता हूँ। कृपया अपना सुझाव जरूर दे धन्यवाद !
मुग़ल बादशाह बाबर (1526 -1530 )
मुग़ल बादशाह बाबर का परिचय-
- मुग़ल बादशाह बाबर का जन्म 24 फरवरी, 1483 ईस्वी को फरगना(कजाकिस्तान ) नामक छोटे से राज्य में हुआ था, उस समय उस राज्य के शासक बाबर के पिता उमरशेख मिर्जा थे।
- बाबर की माता का नाम कुतलुग निगार खानम था।
- बाबर की तीन पत्नियां थी गुलरुस, माहम और दिलबर।
- बाबर ने 8 जून 1494 ईस्वी में फरगना राज्य का उत्तराधिकारी बना तब उसकी उम्र मात्र 12 वर्ष की थी।
- बाबर के चार पुत्र थे हुमाऊं, कामरान, असकरी तथा हिन्दाल।
- भारत के मुग़ल शासक बनने पर जहीरुद्दीन मुहम्मद ने अपना नाम बाबर रख लिया।
- बाबर ने पादशाह की उपाधि 1507 ईस्वी काबुल(अफगानिस्तान) की विजय के बाद में धारण की, पदशाहनामा के लेखक अब्दुल हमीद लाहोरी है।
- बाबर की मृत्यु 26 दिसम्बर 1530 ईस्वी में आगरा में हुई, जिसका शव प्रारम्भ में आगरा के आरामबाग में दफनाया गया बाद में इसके शव को काबुल(इसके वसीयत के अनुसार) में दफना दिया गया।
मुग़ल बादशाह बाबर के अन्य मत्वपूर्ण तथ्य-
- बाग़ बगीचे जिसमे बहता पानी हो की शुरुआत बाबर के समय हुई थी।
- बाबर के उपवनो में अत्यंत रूचि के कारन इसे उपवनो का राजकुमार कहते है।
- बाबर की आत्मकथा बाबरनामा की रचना तुर्की भाषा में की गई बाद में फारशी भाषा में अब्दुल रहीम खानखाना ने किया।
- इसने अपनी आत्मकथा में हिन्दू राज्य मेवाड़ का उल्लेख किया है।
- मुग़ल काल में बाबर और जहांगीर ने ही अपनी आत्मकथा स्वयं लिखी है।
- मुग़ल काल की राजभाषा फारशी थी।
- मुग़ल प्रशासन में लोक आचरण अधिकारी मुहतसिब था।
- मदद- ए - माश विद्वानो को दी जाने वाली राशि थी।
- मुग़ल काल में जिले को सरकार कहते थे।
- मेहदी खाँजा बाबर का बहनोई था।
- गुलबदन बेगम बाबर की पुत्री थी।
- बाबर का प्रसिद्ध नक्शबंदी सूफी खाँजा उबैदुल्ला अहरार का अनुयायी था।
- बाबर को अपनी उदारता के लिए उसे कलंदर की उपाधि दी गई।
मुग़ल बादशाह बाबर के प्रमुख शैन्यअभियाँन-
- बाबर भारत में पहली बार भारत पक्षिम के रास्ते पंजाब से होकर आया, इसने भारत पर पांच बार आक्रमण किया, इसका पहला अभियान 1519 ईस्वी में युसूफ जाई जाति के विरुद्ध था इसने बाजौर और भेरा को अपने अधिकार में ले लिया।
- 1502 ईस्वी में बाबर सर -ए- पुल के युद्ध में शैबानी खा से हार गया था।
पानीपत का प्रथम युद्ध (21 अप्रैल 1526 ईस्वी )-
- पानीपत के प्रथम प्रथम युद्ध में बाबर का मुकाबला इब्राहिम लोदी से था जिसमे बाबर विजयी हो गया था।
- दिल्ली में मुग़ल साम्राज्य की नीव इसी युद्ध से पड़ी थी।
- इस युद्ध में बाबर की विजय का मुख्य कारन था उसकी सैन्य कुशलता।
- इस युद्ध में बाबर ने तुलगमा युद्ध नीती का प्रयोग किया था, बाबर ने इसे उज्बेको से सीखी थी।
- इस युद्ध विजय के बाद बाबर ने काबुल निवासियो को चांदी के सिक्के बांटे
- मध्य कालीन भारत में सर्वप्रथम तोपों का प्रयोग बाबर के द्वारा इसी युद्ध में हुआ, इसके दो प्रसिद्ध तोपचियों का नाम मुस्तफा और उस्ताद अली कुली है।.ये दोनों प्रसिद्ध निशानेबाज भी थे।
- बाबर ने सैनिक संगठन में श्रेणी प्रणाली का प्रचनल किया जिसमे छोटी टुकड़ी में 50 सैनिक होते थे।
खानवा का युद्ध (17 मार्च 1527 )-
- यह युद्ध बाबर और राणासांगा के मध्य लड़ा गया जिसमे बाबर विजयी हुआ।
- इस युद्ध के बाद बाबर ने गाजी के उपाधि धारण कर ली।
- 30 जनवरी 1528 को जहर देने के कारन राणासांगा की मृत्यु हो गई।
चंदेरी का युद्ध (29 जनवरी 1528 )-
- इस युद्ध में बाबर ने मेदनी राय (चंदेरी का राजपूतो ) को हराया था।
घाघरा का युद्ध (6 मई 1529 )-
- इस युद्ध का मुकाबला बाबर और अफगानो के मध्य था इस युद्ध में बाबर विजयी रहा।
- यह युद्ध जल (घाघरा नदी ) एवं थल दोनों में लड़ा गया था
बाबर की कार्य प्रणालियाँ -
- बाबर ने काबुल में चांदी का सिक्का शाहरुख नाम से चलाया था।
- बाबर ने बाबरी नामक चांदी के सिक्के कन्धार में चलाये।
- बाबर ने वनस्पतियो और प्राणिजगत, ऋतुओ और फलो का विशद विवरण अपनी दैनंदिन (डायरी ) में दिया है।
- भूमि मापने का प्रयोग गज- ए- बाबरी का प्रयोग बाबर ने किया। रिसाल -ए - उसेज की रचना बाबर ने की।
- बाबर को मुबईयांन नामक पदशैली का जन्मदाता माना जाता है।
No comments:
Post a Comment